वक़्त बंजारा है
वक़्त बंजारा है
गुजरता बड़ी कठिनकभी लगता बड़ा प्यारा है।
ठहरता नही कभी एक जगह वक्त बंजारा है।
यही तो कठपुतली सा नचा हर हर शय को
इसी के हाथों में तो तम और उजियारा है।
वक्त का पहिया घुम रहा है देखो हरदम
इसके दम से कहीं खिज़ा कहीं बहारा है।
ये चाहे तो कर दे पल में राजा और फकीर
इसके हाथों में ही तो सबका भाग्य सितारा है।
मेहरबां हो तो खुशियों से भर दें सबकी झोली
कुपित हुआ तो दहशत भरा चहूं ओर नजारा है।
हाथ पकड़ कर चल पाओगे जब तक अपना
छूट गया गर तो नही 'दीप' वक्त तुम्हारा है।