वक्त बदलेगा
वक्त बदलेगा
खामोशी की चादर ओढ़ कर ,
मगर मन में बादलों की गर्जना लेकर ,
कितनी अशांत हो रही है वो।
कभी इस पल कभी उसे पल,
कभी यहाँ कभी वहां ,
कभी इसकी कभी उसकी,
हर बात सोच रही है वो।
घड़ी की टिक टिक आवाज ,
कब करेगी नया आगाज,
यही बस सोच रही है वो।
कुछ तो करना होगा,
आगे बढ़ना होगा ,
गिर गिर कर संभलना होगा ,
आज नहीं तो कल,
एक अच्छा परिवर्तन होगा,
बदलता है वक्त ,
वक्त बदलेगा।।