STORYMIRROR

usha shukla

Inspirational

4  

usha shukla

Inspirational

वक्त बदलेगा

वक्त बदलेगा

1 min
341


खामोशी की चादर ओढ़ कर ,

मगर मन में बादलों की गर्जना लेकर ,

कितनी अशांत हो रही है वो।

 कभी इस पल कभी उसे पल,

कभी यहाँ कभी वहां ,

कभी इसकी कभी उसकी,

 हर बात सोच रही है वो।

 घड़ी की टिक टिक आवाज ,

कब करेगी नया आगाज,

 यही बस सोच रही है वो। 

कुछ तो करना होगा,

 आगे बढ़ना होगा ,

गिर गिर कर संभलना होगा ,

आज नहीं तो कल,

एक अच्छा परिवर्तन होगा,

बदलता है वक्त ,

वक्त बदलेगा।। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational