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Tarundeep singh Manchanda

Inspirational

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Tarundeep singh Manchanda

Inspirational

नारी की शक्ति

नारी की शक्ति

5 mins
110


आज बात में एक नारी के बारे में करना चाहता हूं

डालकर रोशनी उसके व्यक्तित्व को समझाना चाहता हूं

की वो कौन है? उनकी समाज में क्या पहचान है ?

सब कुछ बताना चाहता हूं

समाज में उनका क्या अधिकार है

क्यों आज भी उन्हें वह सारे अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं

जिन अधिकारों की वो इस समाज में बराबर की हक़दार है


चाहूँगा की आवाज़ में सब के कानों तक पहुंचा सकूँ

लोग समाज में आज भी लड़की के जन्म को दुत्कारते हैं

अरे एक लड़की का जन्म तो इस पूरे ब्रह्मांड में एक वरदान है

जो करते हैं नफरत लड़की से वह खुद भी नफरत का

पात्र बनते हैं


वही लोग आज दुनिया में आगे बढ़ पा रहे हैं जो ऐसी

सोच रखते हैं

बात अगर मैं आज के जमाने की करूँ और

जिंदगी की किताब का वह पन्ना खोलूं

जहां हर दिन अत्याचार हो रहा है एक नारी के साथ

फिर चाहे वह बच्ची हो, बेटी हो ,पत्नी हो, या हो एक मां

और कर रही है वो डट के सामना बिना थामे किसी का हाथ

गिनती अत्याचारों की दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है


कभी बलात्कार तो कभी जला कर मारना

कभी फेंक कर तेजाब उनके जीवन से तमाम ख़ुशियाँ ही

छीन लेना

क्या है यह समाज जो चाहता ही नहीं इन सब को रोकना

नामर्द होते हैं जो बलात्कार जैसे घिनौने जुर्म का सारथी

बनते हैं

वह सोचते हैं कि देकर अंजाम इस जुर्म को उन्होंने

अपनी मर्दानगी दिखाई है

करके यह घटिया काम उन्होंने जीत हासिल कर ली है


याद रखना ओ पापी जीता नहीं बल्कि यह काम करके

तू एक जानवर से भी नीचे गिर गया है

और उस पीड़ित की नजर में एक बड़ा दोषी बन गया है

पर आज भी समाज धारण करके अपनी चुप्पी

सब कुछ देखता रहता है

आगे बढ़ कर उनकी दर्द की पुकार को ही नहीं सुन पाता


वो बचाओ की आवाज़ लगाती है पर उसकी मदद के लिए

कोई आगे नहीं आता

वो दर्द सहती रहती है और इंसाफ की मांग के लिए

अकेली आगे है आती

पाने इंसाफ फिर वो दर दर की ठोकर है खाती

यहां पर भी लड़का लड़की पर भारी है पड़ता

जो करके ऐसा काम अपने आप को शक्तिशाली है बताता


क्या ग़लती होती है एक लड़की की जो उसे जिंदा

जला दिया जाता है

कर के हवाले अग्नि के उसे मार ही दिया जाता है

गुनाह यह था कि मना किया था लड़की ने किसी तरह के

संबंध बनाने का

और किया था वादा अपने उसूलों पर खड़े रहने का

बस इसी क्रोध में उसका जीवन ही छीन लिया जाता है


कह दे लड़की अगर अभी वह शादी के लिए तैयार नहीं है

अभी वह कुछ वक्त के लिए तुम्हारा साथ मांग रही है

उसकी कुछ ख्वाहिशें हैं जो उसे है पूरी करनी

जीने देकर उड़ान पहले उसे वह देखी मंज़िल है हासिल करनी

इस वजह से शादी के पवित्र बंधन में अभी नहीं बंध पाएगी

और होकर खड़ी अपने पैरों पर पहले अपने मां-बाप का

सहारा बनना चाहेगी

तब जाकर वो जिंदगी को खुशी से गले लगा पाएगी

और शादी के पवित्र बंधन में खुद को बांध पाएगी


चुकाना पड़ता है उसे इस बात का बुरा परिणाम

जब फेंक दिया जाता है उस पर तेजाब सरेआम

वो बिलखती है दर्द में और पड़ी रहती है उस जमीन पर

और मांगती है मदद चीख चीख कर

पर कोई नहीं आता है उसकी यह पुकार सुनकर

सब देख रहे होते हैं यह तमाशा सड़क पर खड़े रहकर

कभी सोचा कि जिसने यह सब सहा होगा उसका

क्या हाल हुआ होगा

उसने पड़ी रह कर जमीन पर क्या कुछ नहीं सोचा होगा

कि अब वह सब का सामना कैसे कर पाएगी

और वह अपनी जिंदगी को खत्म करना चाहेगी

क्योंकि अब वह पहले जैसी खूबसूरत नहीं दिख पाएगी


कैसा समाज है यह जो लड़की को सिर्फ उसकी

खूबसूरती से पहचानता है

वो सोचती है कि अब वो नौकरी नहीं कर पाएगी

कैसे फिर वह अपने पैरों पर खड़ी हो पाएगी

क्योंकि समाज के लोग उसे बेबस निगाहों से देखेंगे

और लोग उसके जले चेहरे को देखकर डरेंगे

जब वो आईने के सामने आएगी तो खुद से नजर न

हीं मिला पाएगी


सोचो कैसा होगा वो मंज़र जब वो अपना

संसार लुटता देख पाएगी

इतने खौफ से वो कैसे जी पाएगी जब वह अपने

साथ किसी को नहीं पाएगी

और जब वो खरीदारी के लिए जाएगी तो लोगों से

नजरें कैसे मिलाएगी

जब एक मां देख कर उसे अपने बच्चे का

चेहरा छुपाएगी

एक औरत क्या दूसरी औरत का सहारा बन पाएगी


जागो समाज वालों यही वो औरत है जो आज हर

औधे पर मर्दों से आगे है

वह घर को संभालती है और हर सदस्य की ज़िम्मेदारी

उठाती है

नौकरी के साथ-साथ वह बच्चों की देखभाल भी करती है

और उन्हें अच्छी परवरिश देने का जिम्मा भी उठाती है

हो चुके हादसे के बाद भी वह जिंदगी खुशहाल चाहती है

जो पहले काम करती आ रही थी वो हर काम वैसे ही

करना चाहती है

बस एक छोटी सी उम्मीद रखती है कि उसे भी सम्मानय

निगाहों से देखा जाए

उसे किसी भी बेबस निगाहों से ना देखा जाए


वह भी हर परिवार में रहती एक आम लड़की की तरह ही है

तो क्या हुआ एक हादसे ने उसका चेहरा बिगाड़ दिया

पर उसके मज़बूत इरादों को तो नहीं तोड़ पाया

वह भी अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए फिर से नौकरी

करना चाहती है 

रास्ते में टकरा जाने से लोग अपना रुख मोड़े नहीं

बल्कि रुक कर उस लड़की को भी आगे बढ़ने का हौसला दें

और हर मुश्किल रास्ते में उसके साथ खड़े दिखाई दें


वह समाज से सिर्फ प्यार और इज़्ज़त की उम्मीद करती है

इसी मांग को अपनी सबके सामने रखती है

मैं फिर से जीना चाहती हूं मुझे जीने दो

मैं फिर से जिंदगी में अपनी रंग भरना चाहती हूं मुझे

रंग भरने दो

मैं फिर से खुश होना चाहती हूं मुझे मुस्कुराने की

हसीन वजह दो

चेहरा बदलने से मैं नहीं बदली हूं

मैं तो अभी भी जैसे पहले चंचल थी वैसे ही चंचल हूं

आज अपनी आवाज़ आप सब तक पहुंचाना चाहती हूं


बदलना मुझे नहीं बदलना उस घटिया सोच को है

जो लड़कियों को आगे नहीं बढ़ने देते हैं

मेरे संस्कारों में खोट नहीं बल्कि संस्कार एक लड़के के

बदलने की ज़रूरत है


पाबंदी मुझ पर नहीं पर लड़कों की सोच पर लगाने की ज़रूरत है

मार कर तमाचा उनको अच्छी शिक्षा देने की ज़रूरत है

गलत मैं नहीं हूं बल्कि मैं तो वहीं नारी हूं जो जीवन गाड़ी को

आगे है बढ़ाती

भर के जज्बा भरपूर इस संसार को चलाने का साहस है रखती

देकर फिर से उड़ान उन हौसलों को इस खुले आसमां को गले है

लगाती

और यह बात सब तक है पहुंचाती की एक नारी पड़ती है सब पर भारी 


फिर चाहे दी जाए उसे कैसी भी ज़िम्मेदारी 

करेगी मुकाबला क्योंकि ना पहले थी वो हारी थी और ना अब हारेगी

थम गई उसकी जिंदगी को फिर से रफ्तार देगी

और करके इकट्ठी उन तमाम ख़ुशियों से फिर से अपना संसार बसाएगी



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