विवेक
विवेक
हम सबको ही प्रभु ने ,वर हैं दिए अनेक,
अमोल और उत्तम सभी,पर है खास विवेक।
निज विवेक आधार है, देता सबको उत्कर्ष,
सुपथ-कुपथ में चयन कर, देता हमको हर्ष।
विविध काल फल मिलते अलग, भले होता कर्म समान,
परिवर्तन शाश्वत सत्य है, कर्म विधि चुनता है विवेक।
कुविचार-लालच -अहम् सब ,करते देते हैं नष्ट विवेक,
सत्संगति-सद्साहित्य प्रेरित करते ,हमें राह दिखाते नेक।
अविवेकी कोई नहीं , अभिप्रेरित करता है उनको स्वार्थ,
हितकर इस ब्रह्माण्ड में, सदा सुविवेक जनित परमार्थ।