STORYMIRROR

Reena Devi

Romance

4  

Reena Devi

Romance

विरह वेदना

विरह वेदना

1 min
525

विरह अग्न जगी तरसे मैना

झरे नीर ज्यूं बरसे नैना

चकोर दर्श की आस में देखो

वन वन फिरे भटकती मैना।


जल बिन तड़पे मछली जैसे

दर्श बिन चैन न पाएं मैना

दूर से आता देख चकोर को

सुमधुर गीत सुनाए मैना।


हुई दूर विरह की ज्वाला

खुशी में नृत्य दिखाए मैना

देखकर हसीं मिलन दोनों का

मिला सुकून मन पाए चैना।


झूमे चांदनी संग चन्दा के

खिले कमल दल बीती रैना

हुए दोलायमान तरू भी

सुखानुभूती में बरसे नैना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance