Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Baman Chandra Dixit

Abstract

3  

Baman Chandra Dixit

Abstract

विलाप आलाप

विलाप आलाप

1 min
218



बुलाया था एक सुबह को

कई शाम दस्तक दे गये।

प्यासे होंठों को प्यासा छोड़ 

प्याले जो थे निकल गये।।


एक उम्रदराज गागरी वो,

लुढ़की तो उठ नहीं सकती।

संभालने वाले वही तो थे

जो ठुकराके चल दिये।।


छलक छलक कर झलक

जवानी की दिखता था कभी।

आज ये दरिया क्यों फ़िर

बूंदों को तरस गये।।


ख्वाहिशों के बाज़ार में

मोल तोल होता कहाँ ।

बाज़ार के बाज़ार यहाँ

बोलियों में बिक गये।।


हैसियत देख कर इधर

हिस्सेदारी बनती है।।

पुस्तेनी माल मकाँ जमीं

छलावे में छीन गये।।


आवाज देते रहो मगर

सुनता कौन किसीका।

"जागते रहो" गूंज के बीच

खज़ाने कई लूट गये।


मुस्कुराते हैं वो,देख हमे

मुस्कुराना तो पड़ेगा।

मुस्कान मुस्कान में लेकिन

घायल कर वो चल दिये।।


ऊफ..भी कहना बेअसर 

उन्हें विलाप आलाप लगता है।

जलती रेत में तड़प कर

लाईयां नाचते रह गये।।

प्यासे होंठों को प्यासा छोड़

प्याले जो थे निकल गये।।

*********************

लाई--धान, बाजरे आदि को भूनकर बनाया गया खाद्य पदार्थ, ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract