विकलांगता
विकलांगता
समाज का वो भी हिस्सा हैं
विकलांगता जिन्होंने पाई
उनको भी खुशियां मिल जाऐं
जो हम गले लगा लें भाई
शरीर से हारे सही हैं हम
दिल से कभी न हारे हैं
विकलांग पैदा हुये मगर
दिल में जज्बात सारे हैं
सोच हमारी बेहद ऊंची
इरादे भी चट्टान समान हैं
उन लोगों से लाख अच्छे जो
सोच से भी विकलांग हैं
कोशिशों में हम हैं सक्षम
स्वाभिमान हमारा जिन्दा है
भीख हम नहीं चाहें किसी से
भले ही खुद से ही शर्मिंदा हैं
हमें तो बस सम्मान चाहिए
प्यार भी थोड़ा दे दो अपना
चाहत जो आपकी मिल जाऐ
पूरा हो जाऐगा हर सपना।