विजय रथ
विजय रथ
तीनों लोक नौ खंड में नवआंदन प्रभास हुआ,
श्री रामचंद्र की पुण्य धरा पर देखो शिलान्यास हुआ,
सदियों की वो "अटल" तपस्या अब जाकर रंग लाई है,
हर सूर्य किरण,हर भू कण में एक अलग खुशी लहराई है,
नाच उठा है नभ मंडल और झूम उठा है सरयू जल,
आनंदित है हर एक मन और गूंज उठी ध्वनी करतल,
ये भक्तों का ही सावन है और प्रभु प्रेम जो पावन है,
ये प्रगती हेतु एक पथ है जो अभ्युदय का नवरथ है,
क्यों ना हम मिलकर मनन करें उन संघर्षों को नमन करें,
एक ईंट उन बलिदानों की भी हो,एकजुट होकर संकल्प करें,
वो दिन भी अब कोई दूर नहीं जब हर श्वास जयकार सुनाएगी,
और श्री राम चन्द्र की पुण्य धरा पर विजय ध्वजा लहराएगी।।