विजय - दृढ़ता का फल
विजय - दृढ़ता का फल
दृढ़ रहने की प्रवृत्ति, बाधाओं, निराशाओं
और असंभवताओं के बावजूद
बने रहने की प्रवृत्ति,
यह वह गुण है जो मजबूत आत्मा को
कमजोर से अलग करती है।
दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन वाला व्यक्ति
कभी भी असफलताओं से नहीं मिलता,
वह अपने सभी उपक्रमों में
सफलता प्राप्त करता है।
जब आप किसी प्रोजेक्ट को शुरू करते हैं
तो आपको उसे तब तक नहीं छोड़ना चाहिए
जब तक कि आपको पूरी सफलता न मिल जाए।
इसका दृढ़ता से पालन करना चाहिए ।
परिश्रम, सतर्कता और दृढ़ संकल्प का व्यक्ति
एक प्रतिभा में विकसित होता है।
वह तंत्रिका जो कभी शिथिल नहीं होती,
वह आँख जो कभी नहीं फूलती,
वह विचार जो कभी नहीं भटकता,
ये विजय के स्वामी हैं।
जीत उसी की होती है जो मेहनत करता है।
दृढ़ता दुर्बलता को शक्ति देती है,
और सारे संसार केलिए दौलत का मार्ग खोलती है।
इस गुण के साथ बड़ी कठिनाइयाँ
समाप्त हो जाती हैं।
