वीरांगना भी रो रही है
वीरांगना भी रो रही है
शहीदों की याद में वीरांगना भी रो रही।
आज हर भारतीय की आँख नम हो रही।।
जब- जब भी पुलवामा याद आता है।
हम सबका ही खून खौलने लगता है।।
प्रेम- दिवस पर प्रेम- रंग बिखरे हुए थे।
पर दुश्मन ने मचाई थी खून की होली।।
भारत में छायी हुई थी सर्वत्र खुशहाली।
वीरों के लहू से सजी थी धरती पर लाली।।
गद्दारों ने धोखे से बारूद बिछा दिये।
सैनिकों के चिथड़े -चिथड़े उड़ा दिये।।
पूरा देश यह सुनकर रह गया हतप्रभ।
धरती और आकाश भी हो गये स्तब्ध।।
किसी का पिता,भाई किसी का पुत्र गया
किसी की मांग का सिंदूर ही उजड़ गया।
प्रेम दिवस खेली आतंकी खून की होली ।
नहीं भूल पाएंगे वीर सैनिकों की कुर्बानी।।
देेतेहैं श्रद्धांजलि हमारे अश्रुपूरित मूक नयन।
देश रहेगा सदा ऋणी करें शहीदों का वन्दन।।