वीर
वीर
युद्ध की टंकार से ,
शत्रु की ललकार से,
वीर कब है कांपते?
शौर्य के प्रताप से,
रक्त के उबाल से,
चेतक की उछाल से,
तीक्ष्ण तीर भाल से,
देते है जवाब वे.....
रक्तीम चाहे व्योम हो,
अंग चाहे भंग हो,
पीठ ना वे दिखाते है
धर्म ध्वज लहराते है
विजय पताका फहराते है
चाहे फिर शहीद हो....
वीर इन सपूतों पर,
गर्व है, अभिमान है,
वीरों की बदौलत ही
देश का सम्मान है...