STORYMIRROR

Surendra kumar singh

Abstract

4  

Surendra kumar singh

Abstract

विचारों की आंधी

विचारों की आंधी

1 min
430

विचारों की आंधी में

विचारशून्य से हम

ढूंढ रहे हैं

अपना ही घर

और पूछ रहे हैं

आने जाने वालों से

अपना ही पता।

अपनी इस विचारशून्यता में भी

हम सक्रिय हैं

अनमने से दिखते हुये भी

सक्रिय हैं जीवन के सफर में

अपने घर लौटते हुये।

उम्मीद हैं घर पर

कुछ होगा नहीं

मेरे खुद के सिवाय

क्यों हम लूटे जा चुके थे

कुछ बलात,कुछ ठगे से

और शेष बचे हुयेअपने साथ

अपने घर के सफर में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract