वहाँ तुम, तुममें हम
वहाँ तुम, तुममें हम
सफ़र में तुम थे
और चल मैं रही थी,
धुँद की चादर में सिमटी
फ़ज़ाओं सी, ढल मैं रही थी..
लर्ज़ां के तेरे ज़िस्म को
गुज़री जो सर्द हवा की नज़्म
तुमसे मिलने की ख़्वाहिश में
दीवानी सी, मचल मैं रही थी..
तेरी नज़रों के आफ़ताब में
जो रौशनी और ह़रारत सी थी
थामे आग़ोश में एक जहाँ
बर्फ़ सी, पिघल में रही थी..
तुम जो आओ तो
साथ मुझे वैसे ही लेते आना
जो आश्ना थी, तेरी सीने में
चाहत सी, पल में रही थी ..
#love