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Sanjay Verma

Tragedy

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Sanjay Verma

Tragedy

वेदना

वेदना

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ना घर, ना घौंसला 

मुंडेरो और कुछ बचे पेड़ों पर 

बैठकर गौरय्या ये सोच रही कि

इंसानों को रहने के लिए,


कुछ तो है मेरे देश में 

सीमेंट कांक्रीट के मकान होने से 

क्या मेरे लिए कुछ भी नहीं है

मेरे इस देश में।


ची -ची बोल के 

बुद्दिजीवी इंसानों से 

कह रही हो जैसे 

इंसानों के हितो के साथ 

हमारे हितों का भी ध्यान रखो 

क्योंकि हम गौरय्या पक्षी है।


कई प्रकार के विकिरण के प्रभाव से

वैसे ही हमारी प्रजाति कम हो रही है

नहीं तो गाते रह जाओगे

छु न -छु न करती आई चिड़िया 

दाल का दाना ले चिड़िया।


और यही सवाल अनुतरित बन 

रह जायेगा महज किताबों में

और नन्हे बच्चों के दिलों में।


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