वापसी
वापसी
सागर को छोड़ कर
जल की कुछ बूँदे
आसमान की चाहत में
बादल हो जाती हैं !
कुछ पल गुजारती हैं
अल्हड़ मस्त हवा के साथ
जब टकराती है पर्वतों से
विरह में गरजती हैं बरसती हैं !
फिर एक उम्र बिता देती हैं
सफर में सागर से मिलने को
मिलती तो है मगर घोल देती है
साथ लाए कुछ खारे एहसास !
बस हर किसी की किस्मत में
कहाँ होता है घर लौट आना !
गर लौट भी आएं फिर भी
पहले जैसे ही रम जाना !!