ऊंची खिड़की
ऊंची खिड़की


घर की ऊंची खिड़की से
नज़र आते हैं कई नज़ारे
वो सोसाइटी में खेलते बच्चे, वो सिग्नल पे कटोरा लिए बच्चा,
सामने की चर्च में शादी का आयोजन,
दूधली सी पोषक में खुशमिजाज़ सी दुल्हन
ऊंची खिड़की से दिखती सिमटी हुई सी हरियाली भी है,
सर पे गट्ठर सम्हालती,
घुटनों तक लिपटी साड़ी में,
नन्हे हाथों को सम्हाले,
बढ़ी जा रही है
वो सांझ का चूल्हा जलाने को!
ऊंची खिड़की पे ठंडी हवा कभी सहलाती है ,
कभी झकझोर जाती है
मैं तब झट से खिड़की बंद कर
अपने को
उन झकझोरो से बचा जाती हूँ।