उत्कृष्ठ करुणा भाव
उत्कृष्ठ करुणा भाव
भाव करुणा के ना हो तो
फिजूल है दुर्लभ , मानव जीवन
किसी के दुखो का हो एहसास
वही करुणा भाव है समझो
करुणा का मूल्य वही जाने
रास्तो के काँटे,दूसरों के चुनता है
प्रशासक करुणामय हो तो
प्रजा खुशहाल रहती है।
करुणा के कोख से जन्मे
अहिंसा सदभाव सद्गुण है
करुणाहीन हो तो , ये सारे गुण
निरर्थक और अर्थहीन है
सुदामा को दीनहीन देख
करुणानिधि कृष्ण भी बच न पाए
धो डालें आँसुओ से चरण
उत्कृष्ट करुणा भाव यही दर्शाए।
जागी जब सिद्धार्थ की करुणा
भगवान बुद्ध बन गए वो
तीर्थंकर नेमिनाथ घोड़ी से उतर
मोक्ष पथ पर चल पड़े थे वो
जियो और जीने दो को अपनाकर
जग वसुधेय कुटुम्ब बनता है
करुणा भाव में डूबा
कोई बुद्ध कोई महावीर बनता है।