कोरोना की हार
कोरोना की हार
आम का मौसम है,
पहली बारिश की गुहार है,
फिर से आया ज़िन्दगी में
वह पहला पहला प्यार है।
पर इन सब की ख़ुशी भी
आज २०२० में अधूरी है,
क्यूंकि कोरोना ने चलायी,
इन खुशियों पर अपनी छुरी है।
मैं उड़ना चाहती हूँ,
दोस्तों से मिलना चाहती हूँ,
पर हर पल कोरोना का डर सताता है
न चाहते हुए भी, मुझे झुकता है।
आजकल मास्क और सांइटिज़ेर ही,
ज़िन्दगी के नए औज़ार हैं
अब बस इन्हे छोड़, आगे बढ़ने
और ज़िन्दगी खुलके जीने का इंतज़ार है।
आजकल ऑनलाइन का ज़माना हैं,
चाहे ऑफिस, चाहे कपडे,
चाहे खाना, चाहे किरना,
सब कुछ ऑनलाइन ही मंगवाना हैं,
इस मुश्किल घडी में,
मुझे अपना धैर्य बढ़ाना है,
इन कठिन परिस्थितियों में,
अपने आपको और मजबूत बनाना हैं।
मैं हारूंगी नहीं,
कोरोना को हराऊंगी,
इसकी दवा बनाकर,
पुरे संसार को इससे बचाऊंगी।
जो भी ज़रूरी कामों में अपने घर से हैं बाहर,
उन सबको मेरा सलाम,
जो अपनी जान पर खेल कर,
बचा रहे लाखों अंजानों की जान।