तुम वापिस नहीं आओगे
तुम वापिस नहीं आओगे
अक्सर आपके बारे में सोचा करते हैं
कभी सोचा न था कि ऐसा भी दिन आएगा,
की आपके दोस्त होकर भी,
बस अनजबी बनके रह जायेंगे।
चाहे अब रोज़ भी बातें कर लें हम,
बस "हाई हेलो" पर ही रुक जाती है,
कभी ऐसे भी दिन थे ,
की रात बीत जाती थी, पर बातें रुक नहीं पाती थी।
आज भी दिल करता है तुमसे बातें करने का,
मगर अब एक अनदेखी दीवार सी है,
याद आती है तुम्हारी बहुत,
पर क्या करें दिल में पड़ी दरार सी है।
शायद उस दरार की वजह मैं हूँ,
शायद इन दूरियों की वजह भी मैं हूँ,
चाह के भी मैं बदल नहीं सकती इनको,
इन आंसुओं की वजह भी मैं ही हूँ ।
आप से तुम, और तुम से तू,
कब हो गया, पता ही न चला,
और कब यह सिलसिला बदल कर
वापिस आप पर आ पहुँयचा,
इसका भी कुछ अंदाज़ा न था।
अब रोने से फायदा नहीं,
टूटे हुए शीशे को जोड़ा नहीं जाता,
टूटे हुए रिश्ते नहीं संभलते,
जैसे छलके हुए दूध को समेटा नहीं जाता ।
पर आज भी दिल में तुम्हारी वह याद ज़िंदा है,
आज भी तुम्हरी सिखाई बाते याद आती है,
तुम्हारी बताई हुई कहानियाँ,
आज भी मन को बहुत भाती हैं।
शायद हमारी कहानी अधूरी ही पूरी है,
शायद हमारा यह सफर अधूरा ही चलता रहेगा,
तुम मेरे गुरु और मैं तुम्हारी शिष्या बनके,
यही प्यार और दोस्ती का सफर चलता रहेग।