मालिक एक।
मालिक एक।
कोई गीता समझता है कोई कुरान पढ़ता है
मगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है।
वो तेरे पास ऐसे है, हृदय में श्वास जैसे है
जो उनका बन ही जाता है, ये बस वो ही समझता है।
कोई गीता समझता है कोई कुरान पढ़ता है,
मगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है।
धर्म मज़हब के नामों पर कई आपस में लड़ते है।
कई अल्लाह कहते है, कई भगवान कहते है।
वो मालिक एक है, उसने सभी को एक माना है।
नहीं हिन्दू मुसल्माँ सिक्ख, बस मानव ही जाना है।
कोई गीता समझता है कोई कुरान पढ़ता है,
मगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है।
गुरु नानक कबीर यीशु सभी संदेश देते एक
चमन है एक हम सबका, और मालिक है सबका एक
कई रंगो के फूलों से,चमन वो ही सजाता है।
रहे सब मिल के आपस में यही मालिक बताता है।
कोई गीता समझता है कोई कुरान पढ़ता है
मगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है।।