मेरी माँ
मेरी माँ
मेरा प्यार मेरा संसार ये जहान माँ तुम ही तो हो ,
पेरशानियों में सुकून , दर्द का आराम ,
मेरा विश्वास मेरी ताक़त मेरा अभिमान,
माँ तुम ही तो हो।
दर्द में रह कर भी मुझे मुश्किल का न कोई एहसास
माँ तुम ही तो हो ,
बिन कुछ कहे ,समझ जाती हो मेरी हर बात ,
जिसके बिन न मेरी कोई हस्ती न कोई औकात,
माँ तुम ही तो हो ।
याद है मुझे जब सब खो दिया था मैंने ,
उस पल भी सबसे खुशनसीब होने का एहसास ,
माँ तुम ही तो हो ।
कितनी भी बड़ी हो गलती , कितनी भी हो भूल ,
कोई हो साथ या कोई कितना भी दूर ,
ऐसे वक्त में भी जो सर पर था एक हाथ,
माँ तुम ही तो हो।
थोड़े से शब्दों से ,पूरी बात को समझ जाना ,
मेरी गलतियों पर पापा से हर बार बचाना,
जो बड़ी हो गलती तो फिर पापा से छिपाना,
जो न छिपे ,तो फिर पापा को मनाना,
हर एक दिन में एक फ़रिश्ते सा आशीर्वाद,
माँ तुम ही तो हो।
सब कुछ लिखकर भी , मैं कुछ न कह पाऊंगा,
तेरी रहमत को कविता में कहां बयां कर पाऊंगा ,
मेरे हर शब्द बोलने का एहसास ,और उसका अंदाज़,
माँ तुम ही तो हो ।
मेरा प्यार मेरा संसार ये जहान माँ तुम्ही तो हो !