दुश्मन का दूँगा मुँह तोड़
दुश्मन का दूँगा मुँह तोड़
प्रबल भुजाओं की ताकत से, दुश्मन का दूँगा मुँह तोड़,
सैनिक अपने कर्तव्यों से, कैसे सकता है मुँह मोड़।
मैं भारत हूँ मुझमें बसता, मेरा हँसता हिंदुस्तान,
कहता है फौलादी सीना, सबसे बढ़कर मैं बलवान।
जिंदा जबतक, डटा रहूँगा, खुद भागेंगे रिपू रण छोड़।
प्रबल भुजाओं की ताकत से, दुश्मन का दूँगा मुँह तोड़।
शौर्यवान साथी बलशाली, करते मन से अथक प्रयास,
दुश्मन को थर्रा दे पल में, रग-रग को इसका अभ्यास।
ओजवान सब शक्तिवान बलि, भारत की सेना बेजोड़।
प्रबल भुजाओं की ताकत से, दुश्मन का दूँगा मुँह तोड़
मेरे भारतवासी सुन लो, मैं घाटी से रहा पुकार,
अर्थव्यवस्था अरि की तोड़ो, एकजुट हो करो प्रहार।
किसमें कितनी देशभक्ति है, यही लगा लो अब सब होड़,
प्रबल भुजाओं की ताकत से, दुश्मन का दूँगा मुँह तोड़,
