लोकतन्त्र जिंदाबाद : गीत
लोकतन्त्र जिंदाबाद : गीत
जिसने भी उठाई है ,जुर्म के खिलाफ आवाज,
मेरा सैलूट उसको , लोकतंत्र जिंदाबाद ।
सच बोलने पर जिनको , जेलों में भर दिया
देना तो था ईनाम पर ज़लील कर दिया।
दब नहीं सकती कभी,आवाम की आवाज..
संविधान का ही चलेगा, मेरे देश पर तो राज...
मेरा सैलूट उनको लोकतंत्र जिंदाबाद ......
हक के लिए भी बोलना , क्यों भारी पड़ रहा -2
अब देखो मेरे मुल्क में , हर कोई लड़ रहा
क्यों लग रही है सबको , हुकूमत ही दगाबाज...
पंखों के बिना हो नहीं , सकती कभी परवाज़....
मेरा सैलूट उनको लोकतंत्र जिंदाबाद ......
हमें धर्म और मज़हब के ,झगड़े छोड़ने होंगे।
जब मुल्क है सबका तो, सारे जोड़ने होंगे।
मोहब्बत ही बनायेगी, मेरे मुल्क को सरताज...
नफ़रत पे गिराएंगे, हम मिलकर के सभी गाज...
मेरा सैलूट उनको, लोकतंत्र जिंदाबाद ......
रोजगार को मजदूर, नौजवान लड़ रहे।
दिल्ली के चारों तरफ से , किसान लड़ रहे।
बुजुर्ग, माताएं बहनें, बच्चे भी उठा रहे आवाज़...
हम वारिस हैं भगत सिंह के , शहीदों पे हमें नाज़...
मेरा सैलूट उनको लोकतंत्र जिंदाबाद ......
