देश भक्त
देश भक्त
मन में क्रांति की अंगार को ज्वाला बनाते हैं
देह में देश भक्ति का रूतबा वे सब जगाते हैं
जिसनें जोडी़ है उम्मीदें धरा की प्रेम रक्षा में
ऐसे राष्ट्र भक्त, भक्ति को अपनी शक्ति बनाते हैं।
उस हाड़-मांस के पुतले का अभिमान जिन्दा है
सरहदों पर जिम्मेदारी का संग्राम जिन्दा है
दुश्मनों से द्वन्द करते उन सब देशभक्तों में
वन्दे मातरम् का उर में एक अरमान जिन्दा है।
जिन्दा है जवान बनकर, मरेगा एक शहीद बनकर
सलामी देश उसे देगा, पुकारे देश भक्त कहकर
कफन तिरंगा ओढ़ेगा, भारत के आंचल में सोकर
माटी का कर्ज चुराएगा, इस पर बलिदान होकर।
