“ श्रेष्ठ तो श्रेष्ठ ही रहेंगे ”
“ श्रेष्ठ तो श्रेष्ठ ही रहेंगे ”
कहने के लिए हम कहते हैं कि आज के युग में सब के सब मित्र हैं !
पर बात ऐसी कथमपि नहीं हो सकती है !
जो अनुज हैं वो अनुज ही रहेंगे जो समतुल्य हैं वो समतुल्य ही रहेंगे !
श्रेष्ठ को हम भला मित्रों की परिधियों में ला कैसे सकते हैं ?
उनकी श्रेष्ठता को भला कैसे भूल सकते हैं ?
गुरुओं को स्वप्नों में भी मित्र बना नहीं सकते ,
ये उनकी महानता हो सकती है हमें वे क्या समझते ?
श्रेष्ठ लोगों की बातों को शिरोधार्य करना लक्ष्य होना चाहिए !
उनके आदेशों का पालन हमें आजन्म करना चाहिए !!
शालीनता ,सभ्यता और शिष्टाचार से अभिवादन का मंत्र हम सीख लें
मित्र चाहे लोग बोलें पर श्रेष्ठता की मान्यता को हम ना भूलें !!
