बली
बली
घास का बोझा उठाये, पग पग चलती जाती।
उत्तर देती समाज द्वारा उठाये प्रश्नों का।
एक मूक जवाब , जो सब लोग नहीं समझते।
कुछ समझ जाते , पर समझना नहीं चाहते।
घास का गट्ठर , प्रतीक चिन्ह उन अनगिनत ज़िम्मेदारियों का,
गट्ठर के तिनकों सा , जिनको गिनना असम्भव प्रतीत होता।
उन्ही असंख्य ज़िम्मेदारियों को निभाती , पग पग चलती औरत।
बिना किसी अवकाश के, लट्टू सी घूमती ।
बुजुर्गों की सेवा, बच्चों के काम , पति का ध्यान।
बेनागा हर पल ,मानो तिनके गिनती औरत।
कोई तिनका छूट न जाये , पक्का करती औरत।
धरती का भार उठाये , शेषनाग रूपी औरत।
मूक ! अतुल बलशाली औरत।
