उसकी ज़िंदगी
उसकी ज़िंदगी
तो शायद मैं नहीं जानती उस आदमी का संघर्ष
जो अपना पेट काटकर अपने परिवार का पेट भरता है।
अपनी ख्वाहिशों की हत्या कर अपने बच्चों की इच्छा पूरी करता है।।
वो रात के घने अंधेरे से नहीं घबराता, कहीं उसकी आंखों से आंसू का कतरा ना बह जाए वो इस बात से डरता है।
वो जिससे प्रेम करता है उनके लिए दुनिया , मजबूरी, गरीबी , बेबसी,परेशानियों के घनघोर बादलों से हर रोज़ लड़ता है।।
मुझे ये डर है उस दिन क्या होगा ,जिस दिन वो अपनी किस्मत के आगे अपनी हार स्वीकार कर लेगा।
घबरा उठता है मेरा जी , जब मैं उसके संघर्ष को समय की उस कड़ी से जोड़ने की कोशिश करती हूं जिसमें वो अपने जीवन के आगे आत्म समर्पण कर देगा।