डरावनी यादें
डरावनी यादें
कुछ बातें हैं, जो मुझे डराती है
मुझे इन दिनों सताती है
लोग देखते हैं, दिन की खुशी मेरी
मगर इन दिनों, ये रातें मुझे रुलाती हैं।
भाग सकती, तो भाग जाती मैं यहां से
मगर ये डरावनी यादें, अपने होने पर बहुत इतराती हैं।
ख़ामोश रहूं तो, बहुत सवाल मुझे खाने को आते हैं।
उस पर कुछ शख्स हैं ,जो अपनी बेगैरती दिखाने आते हैं।
बहुत ही हो जाता है , जब सवालों के जवाब भी ख़ुद सवाल बनने पर आते हैं।