उसके बाप का क्या जाता है
उसके बाप का क्या जाता है


वर्तमान युग की शान निराली हर कोई देख सुन रहा है
अमीर अपनी रोटी सेक रहा है और गरीब चनें की तरह भुन रहा है
देश का किसान गरीब है हालांकि दिन-रात धूप में जलता है
स्मार्ट वर्कर तो बिचोलिया है जो उनके पैसों पर पलता है
दो रूपए देता है दो सौ रूपए कमाता है
गरीब का हक मरता है तो उसके बाप का क्या जाता है
बड़े बड़े मॉल और ऑनलाइन शॉपिंग के द्वार खुल गए हैं
तो क्या अगर ग्राहक छोटे दुकानदारों का रास्ता भूल गए हैं
करोड़ों रुपए लगाए हैं भई तभी तो सेठ पैसे कमाता है
अगर पंसारी भूखों मरता है तो उसके बाप का क्या जाता है
दिन रात मेहनत करके बहुत सारी डिग्रियां इक्कट्ठी करते हैं
यह वो बेवकूफ स्टूडेंट है जो दिन रात पढ़ते हैं।
दिन-रात चप्पल घिस-घिस के अपनी सारी जवानी गंवाता
है
चाचा की कंपनी थोड़े है भई ! उसके बाप का क्या जाता है।
कंपनी की सेल बढ़ाने के लिए नई से नई ट्रिक आजमाते हैं
ये वो सेल्स मैनेजर है जो रात रात भर घर नहीं आते हैं।
खुद एक छत के लिए तरसता है चाहे लाखों की सेल कराता है
कंपनी को थोड़े सरोकार है उसके बाप का क्या जाता है
अमीरों को अमीरी से मतलब है चाहे वह लूट से हो या खसूट से
क्या फर्क पड़ता है अगर कोई मरता हो उनके झूठ से
हमारा सामान बढ़िया है उनका सामान घटिया
हमारी कंपनी शानदार उनकी हैसियत बेकार
तेरा काम मेहनत करना मेरा काम घर भरना
बस यही सब चल रहा है यही तो चल रहा है
आधा देश चंद लोगों के आश्रय में पल रहा है
अमीरों की जो नीति है उसकी नींव ही फरेब है
सिर्फ इसी कारण से तो गरीबों की फटी जेब है।