बौनी सी ये उड़ान
बौनी सी ये उड़ान


है जो मेरे दिल का टुकड़ा अभी ही उसने चलना सीखा
छोटे-छोटे से पग धरती अपनी उंगली पकड़ाती है
कुछ दूरी तो तय कर लेती पर फिर लड़खड़ाती है
चेहरे पर है खुशी चमकती जैसे उड़ना चाहती है
मिट्टी में तकदीर है लिखती अपनी छोटी उंगली से
अपनी मां को डांट दिलाती टूटी-फूटी चुगली से
शाम सुबह वह यूं दौड़े कि पूरा अंबर पा जाएगी
हाथ फैला कर यूं समझे कि पल भर में उड़ जाएगी
प्यारे पापा गोद में भर कर देते उसका साथ
हाथों में भरकर जब दौड़ें बस मिल जाता आकाश
नन्हीं-नन्हीं आंखों में पूरे जग को समाना चाहती
आकाश में जो चमके उस चांद को पाना चाहती
उस नन्हीं सी परी को न जानूं कि कैसे समझाएं
अभी तो तूने पर खोले हैं अभी भला कैसे उड़ा जाए
पगली यह तो पहली कोशिश है बौनी सी ये उड़ान है
पंख फैला तैयार हो जा आगे पूरा आसमान है।