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Jyoti Sharma

Drama

2.5  

Jyoti Sharma

Drama

क्या फिर भी मैं पराई हूं

क्या फिर भी मैं पराई हूं

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छोड़ मैं सारे अपने देखो गैरों के घर आई हूं

अपनी झोली में भरकर मैं स्नेह का तोहफा लाई हूं

बचपन छूटा पीहर छूटा प्यार का जो थे सागर छूटा

क्या फिर भी मैं पराई हूं


गैरों में अपनापन जाना पति को अपना जीवन माना

एक नया सा शुरू हो गया जीवन का यह ताना-बाना

नए नवेले इस घर में मैं सब कुछ अपना पाई हूं

क्या फिर भी मैं पराई हूं


ससुर मेरे पिताजी की सूरत सांस में देखी मां की मूरत

मैंने है यह दिल से माना ये रिश्ते हैं बेहद खूबसूरत

रंग रूप में ढल गई सबके चाहे किसी और की जाई हूं

क्या फिर भी मैं पराई हूं


सच ही तो है कि ये सब ही मेरा घर संसार हैं

जन्म के ना यह रिश्ते हैं स्नेह ही इनका आधार है

ये सब तो है सीखा मां से उनकी मैं परछाईं हूं

क्या फिर भी मैं पराई हूं।


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