उस एक रात
उस एक रात
उस एक रात की घटना भुलाए नहीं भूलती है ,
मैं आज अकेला उस सड़क पर चला जा रहा हूँ,
जाने कहाँ जाना, नहीं पता बस चला जा रहा हूँ,
ना जाने क्यों आज ये दिल मेरा बेचैन हो रहा है ,
जाने क्या पीछे छोड़कर बस चला जा रहा हूँ,
उस एक रात की घटना भुलाए नहीं भूलती है ,
कुछ सवाल मन में मेरे अभी भी उमड़ते रहते हैं,
आंखों के सामने अभी भी वो मंजर नजर आता है ,
जिसे सोचकर आज भी दिल मेरा कांप जाता है ,
हाँ एक सुनसान सड़क पर अकेली थी वो लड़की,
न जाने कौन थी पर कुछ जानी पहचानी लगती थी,
कुछ हिम्मत बढ़ाकर अपने कदमों को आगे बढ़ाया,
दिल घबरा रहा था कदम आगे नहीं बढ़ पा रहे थे,
उस अकेली लड़की को देख मन ही मन सोच रहा था,
इसे जरूरत है किसी की शायद बेचारी परेशान है ,
इसलिए रो रही है,मन में कई सवाल उमड़ रहे थे,
क्या हुआ है इसको? कौन है? यह कहाँ से आई है?
कुछ और कदम आगे बढ़ा ,
चेहरा उसका देखकर सहसा चौक गया मैं,
मेरे तो कदमों से जैसे धरती ही निकल गई,
वह लड़की और कोई नहीं ............................
फूलों से नाजुक मेरी बेटी थी, हाँ वह मेरी बेटी थी,
जब तक उसके पास पहुंचा वह मुझे छोड़ जा चुकी थी,
क्या कसूर था उसका, बस सज सवंर कर निकली थी,
क्यों उसकी आबरू तार-तार कर दी सरेआम दरिन्दों ने ,
पूरी रात सड़क पर रोती बिलखती रही,
पर किसी ने उसे नहीं बचाया,समाज आज भी क्यों मौन है,
क्या कसूर था मेरी फूल -सी बच्ची का
क्यों किसी के हवस का शिकार हो गई ,
उस एक रात को भूले नहीं भूलता हूँ,
उसकी सिसकियाँ आज भी कानों में गूंज रही है!