उस अग्नि को पहचान लो ।
उस अग्नि को पहचान लो ।
ज्वाला ये भूचाल सी,
मन में है दहक रही,
क्रोध की अग्नि ये,
पानी सी नैन से बरस रही,
भूकाम की दहशत ज़रा,
देखो हृदय है सहमा हुआ,
शरीर ये स्थिर है,
मुस्कान सलामत दिख रही,
ये आपदा कैसी आ गई,
देखी न अब ये जा रही,
कभी देवानल सी भभकती हुई,
कभी ओलों सी बरसती हुई,
पर देखा जो सामने,
दिखी बस वो हस्ती हुई,
सुलझी हुई, सुलझा रही।
दिख रही वो बढ़ती हुई,
आसमान को सहला रही,
देख ज़रा ध्यान से,
वो अटकी हुई, वहीं खड़ी,
कुछ अतीत से है माग रही,
समझ सको तो जान लो,
उस अग्नि को पहचान लो,
वहीं खड़ी भभक रही,
बुझ - बुझ कर दहक रही,
समझ गए तो नीर दो,
प्यास से तड़प रही,
आस से है खड़ी,
भभक रही, भभक रही !
