मेरी डायरी, कलम और कुछ बेजुबान पन्ने
मेरी डायरी, कलम और कुछ बेजुबान पन्ने
आभार उन्हीं का जो साथ रहे ,
हर खुशी में जो पास रहे,
आभार उन्हीं का जो साथ रहे ,
कैद कर रखा हर लम्हा खुशनुमा,
और गम की स्याही बहा गए,
हर पल की उत्तेजना समा गए,
भीतर अपने , अनमोल यादें बसा गए,
उन्हीं पर छूटा गुस्सा ,
हां प्यार भी उन पर ही आया ,
उस डर में सीने से लगाकर,
जो उस दिल को शांत बिठाया,
उन्हीं को मैने कोरा छोड़ा,
मन किया तो उन्हीं को सजाया,
मेरे जीवन के हर लम्हे को,
मानो उन्होंने अपनी जुबान से सुनाया,
कभी मोती से वर्णों से,
कभी लहराती लिखावटों से,
कभी रंगीन लिखाई से,
तो कभी काले अक्षरों से,
एक वो ही हैं जो मेरे हर पल को संजोए रहे,
मेरी डायरी, कलम और कुछ बेजुबान पन्ने ।