देखो! बचपन पढ़ने जा रहा
देखो! बचपन पढ़ने जा रहा
यूँ बोरे सा बैग टाँगे ,
अपनी मस्ती में खोया हुआ,
फटे हुए जूतों के फंदे बांधे,
बंदर सा ऊँचा उचकता हुआ,
बांधे फीते आड़े -टेड़े,
सखी का हाथ पकड़ा हुआ ,
देखो! बचपन स्कूल जा रहा ,
अव्वल आने का स्वप्न धरे ,
गणित के प्रश्न एक न बने,
दोस्तों का वह टीपता जा रहा,
देखो! बचपन स्कूल जा रहा,
शरारत बात-बात पर सूझे,
नयनों से ही हर मस्ती गूँजे,
छड़ियों से वो पिटता जा रहा,
देखो ! बचपन स्कूल जा रहा,
वो जमघट आखिरी बेंच का,
और वो डिब्बा "बेस्ट फ्रेंड" का,
वो छीन -छीन कर खाता जा रहा,
देखो! बचपन स्कूल जा रहा,
लौट कर वो धूल उड़ाना ,
सफेद कमीज़ पर इंक लगाना,
और वो आखिर दोस्त से कह जाना ,
"मम्मी को मत बताना" ,
देखो! बचपन कैसे स्कूल जा रहा......
