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Nupur singh

Children Stories

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Nupur singh

Children Stories

देखो! बचपन पढ़ने जा रहा

देखो! बचपन पढ़ने जा रहा

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यूँ बोरे सा बैग टाँगे ,

अपनी मस्ती में खोया हुआ,

फटे हुए जूतों के फंदे बांधे,

बंदर सा ऊँचा उचकता हुआ,

बांधे फीते आड़े -टेड़े,

सखी का हाथ पकड़ा हुआ ,

देखो! बचपन स्कूल जा रहा ,


अव्वल आने का स्वप्न धरे ,

गणित के प्रश्न एक न बने,

दोस्तों का वह टीपता जा रहा,

देखो! बचपन स्कूल जा रहा,


शरारत बात-बात पर सूझे,

नयनों से ही हर मस्ती गूँजे,

छड़ियों से वो पिटता जा रहा,

देखो ! बचपन स्कूल जा रहा,


वो जमघट आखिरी बेंच का,

और वो डिब्बा "बेस्ट फ्रेंड" का,

वो छीन -छीन कर खाता जा रहा,

देखो! बचपन स्कूल जा रहा,


लौट कर वो धूल उड़ाना ,

सफेद कमीज़  पर इंक लगाना,

और वो आखिर दोस्त से कह जाना ,

"मम्मी को मत बताना" ,


देखो! बचपन कैसे स्कूल जा रहा......

                                         




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