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Nupur singh

Abstract

4.5  

Nupur singh

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जीवनशक्ति

जीवनशक्ति

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जंग अलग अलग है हर किसी की,

और है अलग मकसद भी..

ख्वाहिशें अलग हैं,

और है अलग मंज़िल भी..

पर कुछ तो एक है,

शायद जुनून , शायद यकीं , शायद ज्वाला,

जो सबके अन्दर पनप रही..

किसी में ज़्यादा, किसी में कम,

पर वो है जरूर; प्राणों में समाई हुई..

वो प्राणशक्ति एक है,

जो आहटों सी गुज़र रही..

वो जीवनशक्ति अमर है,

जो सन्नाटों में खनक रही..

वो जीत रही, वो सीख रही,

वो ऊर्जा पल पल विनिमित हो रही..

वो खेल रही है, हम खिलौने हैं,

वो छुपी हुई है, हम मुखौटे हैं..

हम चाहते हैं थामना उसे,

वो चाहती है बहना ..

डर लगता है सोचकर मुझे,

वो थम गई तो क्या बचेगा..

चलो बह चलें उसके साथ ही,

जीवन पर्यन्त, जीवन बनकर, 

किसी के जीवन के लिए....


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