STORYMIRROR

Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

उफ्फ़ ये रात

उफ्फ़ ये रात

1 min
337

नैन बरसे नेह

लब है खामोश 

लो चुभते कंगन की आह से

लिपटे एहसास को मुक्त किया !

 

दो सौंधे सौंधे से जिस्म की

करवटों से सजी रात का

नज़ाकत भरा आलम ! 


लबों की मद्धम बहती

सरगोशियों में

ज़ाफ़रानी साँसें उलझ गई थीं !


ऊँगली के छल्ले का क्या दोष 

ये मतवाले मिलन की अदा

कर गई कुछ शैतानियत !


ऊँगलियों की गिरह

हल्की हो तो चेहरा उपर उठे !

 इशशश...

देखो ना रात रुकी हुई है।


हया का चिलमन हटा लूँ

तो पहर आगे बढ़े।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance