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MS Mughal

Romance Classics Inspirational

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MS Mughal

Romance Classics Inspirational

उनके हुस्न में ...

उनके हुस्न में ...

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अज़ अज़ीज़ ए दीलम 

हमने जब से आप को देखा है तब से 

हम महव ए हुस्न हो गए है 

ओर हर सु आप के दीदार ओ हुस्न ए तर्ज़ के 


मुस्ताक हुए फिरते है ता हम 

जा ब जा कू ब कू चार सु हमे बस 

आप ही आप नज़र आने लगे है 

यह आप की ही नज़र ए इनायत है जो हम 

हर सय ओ सूरत में आप के काईल हुए फिरते हैं 


ओर आप की जुल्फ ए दोता व मू ए सियाह का 

कमाल हुआ की जो हमारे जमाल में जौ फिगन होकर 

हमारे जिस्म ओ जा को महताब ओ अंजुमन ए रश्क का 

मश्कन बना देते हैं 


वहीं ताब ए निगाह ए फुसूं हम पर एक दीवाना वार गुज़रा है

जिसकी तह ए खूब असर ए दिल हम मस्तानों के वश

आप की जुस्तजू ए दीदार को मस्ताना वार सर ओ

मुंह खुशबख्त व खुश लिबास हुए फिर रहे है 

यह मेरे चमन ए बहार व गुलज़ार ए गुल की बू 


मानो ऐसी लगती है की आप का गुज़र व बशर इनमे रहा हो 

हर निखहत ए गुल आप के जिस्म ओ तन की मानिंद 

इस गुलज़ार ओ चमन में खुशबख्त है

और जब बुल बुल ए बहाराँ की सदा सुनते है तो आप की 

शीरी सुखन में मशगूल हो कर आप के हुस्न में खो जाते है 


वोह लब ए दहन वोह शीरी सुखन ओर गुंचा

ए लब हमें बे तहाशा याद आने लगते हैं 

वोह आप के रुख ए रुखसार व सेब ए ज़क़न को

पहली बार देखा था तब ही हम आप के हुस्न के बे जंजीर ए गिरफ्तार हुए थे 


जिसकी गिरफ्तारी में आज हम आप के आशिक़ हुए फिरते हैं

नाज़ ए शौकत व ऐश व इशरत से प्यारा हमे आप का एक दीदार लगता है।  


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