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Soni Gupta

Tragedy

5.0  

Soni Gupta

Tragedy

उन आँसुओं का हिसाब

उन आँसुओं का हिसाब

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इस जख्म का देगा कौन ज़वाब

नहीं लगा सकता कोई उन आँसुओं का हिसाब

दिलों में भरा है दुखों का गुब्बार

किया माँ ने देश पर अपना पुत्र बलिहार।


इस जख्म का देगा कौन ज़बाव

नहीं लगा सकता कोई उन आँसुओं का हिसाब

छिन गई लाठी बुढ़ापे की

उजड़ गया सुहाग पत्नी का

माँ रोती कहती।


कहाँ गया तू बच्चे करते चीख़ -पुकार

चारों ओर फैला है

ये कैसा चित्कार ये कैसा चित्कार

इस जख्म का देगा कौन ज़बाव।


नहीं लगा सकता कोई उन आँसुओं का हिसाब

वादा कर गया पत्नी से वापस फिर आऊँगा

अपने लाडले को आकर फिर गोद में बिठाऊंगा

वो बुन रहा सपने पापा के आने का।


रो रहा अब दुख है उनके जाने का

इस जख्म का देगा कौन ज़वाब

नहीं लगा सकता कोई उन आँसुओं का हिसाब।


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