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Nitu Mathur

Classics

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Nitu Mathur

Classics

उम्र

उम्र

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ये सलवटें कैसी,  ये कैसे हैं निशां

ये धुंधली सी सूरत :; कयूँ है परेशां, 

ये उम्मीद ; ये क्यासें कैसी 

किस से शिकायत ; कयूँ कर मजबूरी, 


मजबूत दरख़्त में ये कयूँ पडी दरार

देखते ही देखते खुशनुमा जिंदादिली मेरी

बस हो गयी उमरो -हालत की शिकार, 


इन सवालों का गणित मुश्किल नहीं है यारों

ये तो बस अब तक" जी हुई " उम्र है प्यारों ! 


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