उम्र का पड़ाव और प्यार
उम्र का पड़ाव और प्यार
आज भी तुम उतनी ही प्यारे लगते हो,
जैसे कुछ साल पहले थे
इतने हसीन या कहूं कि उससे भी ज्यादा लगते हो।
पहले था, मिजाज में बचपना या कहूं कि अब अल्हड़ ज्यादा लगते हो।
चुलबुली थी पहले भी बातें तेरी,
पर तुम अब ज्यादा मनचले लगते हो।
उम्र का दिल से कोई नाता नहीं होता,
जन्मदिन के केक पर एक मोमबत्ती ज्यादा होने से होने से क्या होता है।
हमारी तो सोच यही है कि उम्र बढ़ने पर प्यार ज्यादा परिपक्व होता है।
वरना तो जवानी में शाहजहां हर लड़की को मुमताज समझ के रोता है।
उम्र को दिल पर हावी ना होने दीजिएगा,
उम्र की लकीरों का क्या है?
प्यार उस समय भी था, मुझसे ज्यादा या
कहूं कि आज ज्यादा लगता है।
पहले था तू हर रिश्तो की डोर से बंधा
पर आज कहती हूं कि तू, अब मेरा ज्यादा लगता है।
आज अरसे बाद बैठी हूं,
तेरा हाथ अपने हाथों में लिए
पहले ना थी,फुर्सत कभी ऐसी प्यार मे,
किया था तूने पहले भी मुझसे प्यार का इजहार,
या यूं कहो कि अब उस इजहार में प्यार ज्यादा लगता है।
पहले चला जाता था तु छोड़कर, काम के सिलसिले में मुझे,
तब दिल तुझे खोने से डरता था,
या कहूं कि अब तुझे खोने का अहसास से भी ये दिल ज्यादा डरता है
तब तुझे पाने का अहसास थोडा कम था, या
यूँ कहूँ कि आज तुझ पाने का एहसास ज्यादा होता है।