उम्र गुजर गई
उम्र गुजर गई
तेरी मोहनी मुस्कान पर कृष्णा, मैं तो मर गई l
तुझसे लगन लगी मोहन, मेरी जिंदगी संवर गई l
बस तुझको ही पाया कृष्णा, मैं जिधर भी गई l
तुझे पाने की चाहत में मोहन, मेरी उम्र गुजर गई l
तेरी सांवरे सलोने मुखड़े, पर मेरी आंखें ठहर गई l
तुम जो मुस्कुराए, मोतियों की लड़ी बिखर गई l
तेरी प्रीत पाकर के कृष्णा, मैं तो निखर -निखर गई l
तेरी लीलाओं के आनंद में, मगन हो मैं डूबती गई l
जानती है सखियां, मेरी जिंदगी तुझ पे सिमट गई l
पूछती है वे सारी मुझसे, मैं क्यों तुझ पर मिट गई l
जब भी आई तेरी याद, मुझे खुद में समा के गई l
डूबती रही प्रेम सागर में, दिल को समझाती गई l
रिक्तता नहीं जीवन में दुख भी आने को तरस गई l
परमानंद के आनंद से, मेरी आंखें भी बरस गई l
मधुर मिलन की आस में कृष्णा, मैं तो सिमट गई l
प्रीत की रीत निभाने में जाने कब उम्र गुजर गई l
प्रीत निखरती गई उतनी, जितनी उम्र गुजरती गई l
लो आ रही हूं मैं कृष्णा, कि अब सांझ भी ढल गई l
त्यागूँ हूं इस चोले को, कि अब यह जीर्ण हो गई l
तूने लिया शरण में कृष्णा मैं, अब परिपूर्ण हो गई l