उम्मीद
उम्मीद
यही कि कभी तो दिल को खुशी होगी
पूरी तरह से नही लेकिन अधूरी होगी
क्यों रोऊँ कब तक गाऊँ दुखों के गीत
कभी तो कृपा होगी उसकी ये है उम्मीद।
बेटा जाय तो कर्तव्य है उसका जाने दो
बेटी जाय तो हर मुख पर उसे आने दो
क्या बेटा क्या बेटी क्या है ऊँच नीच
टूटकर भी ना टूटे ऐसी इस जग की रीत।
बेटा जो करे वो स्वीकार होगी प्रीत
बेटी अगर करे बदनाम हुई सब के बीच
हाय कब छूटेगा ये अंदाज नारी के लिए
रोज टूटती है फिर भी कर बैठती उम्मीद।
