कभी प्यार भी एक तरफा हो जाता है
कभी प्यार भी एक तरफा हो जाता है
कभी - कभी ऐसा भी हो जाता है!
प्यार भी एकतरफा हो जाता है!!
तुम जिसको खूब चाहो कभी,
वो कभी हो नहीं पाता है!!
हम ठोकरें खाते फिरते रहते हैं
पर किसी से कभी न बताते हैं!
छुपा लेते हैं कभी उस राज़ को
कोई पूछता है.., तो बताने में इतराते है!!
अपना दर्द बादलों पे रख देते हैं
तसल्ली पाते ही उसे याद करते हैं!
जब सुनते हैं उसकी खुरशीद बातें
बस यहाँ - वहाँ हम ढूँढते रहते हैं!!
वो रातों की सनसनी तेरे आए हैं
तेरी बातों को दोहराते आए हैं।
कहासुनी तो कर गए गुफ्तगू हम
पर गिरते हुए तेरे सीढ़ी से उतरते आए है!!
अकसर छिपाते थे अलमारी पे तस्वीर तेरी
जर्द क्यूँ हो गई तकदीर मेरी
मैं झाँकता हूँ तेरी उम्मीदें कभी
फिर क्यूँ नहीं हो पाईं अभी भी मेरी!!
पड़ती जाती है प्यार की दरारें
टूटकर रोते हैं सपनों के तारें
मैं फिर भी करता हूँ वक्त का रफू
पर वो हो जाते है दूसरों के प्यारे!!
आज मैं अपना एहसास लिए रोता हूँ!
लोग पूछते हैं सवाल.., तो चुप करता हूँ!!
क्या बता दूँ.., वो खुली किताब की दासता
वो न चाहे, फिर भी मैं चाहता हूँ!!
क्या माँगूँ उन्हें हम जो बिक चुके हैं
थोड़ा कहना था, ज्यादा कह चुके हैं
अब क्यूँ बुलाऊँ उनको हम यहाँ पे
जो अपनों से वो पराया हो चुके हैं!!
ज्यादा सन्नाटे में वो बिखरें थे!
मैं अकेला, वो दूसरों के घर ठहरे थे!
उनको अच्छा था, वो मिट्टी के घर में
जो मुझे वो पुराने में धिक्कारे थे!!
मैंने बेच दी स्याही उनके खत पे!
जवाब न दिया वो अपने खत में!!
वो हो चले इक लहर के बहाव में
हम सुबह देखते रह गए छत से!!
