उस पार न जाने क्या होगा
उस पार न जाने क्या होगा
इस पार प्रिय तुम हो जग है
उस पार न जाने क्या होगा,
जो गया वहॉं से लौट न पाया
क्या पता चले किस हाल में है।
सबको कुछ समय मिला है
सब अपने अपने काम करें,
पर काम करके क्या मिला
जब जीवन ही शेष न रहा।
ऊँचे ऊँचे सपने पाले
ऊँचे ऊँचे सब लक्ष्य लिये,
उन्हें पूरा करने को हमने
दिन रात सब एक किये।
पर क्या मिला अन्त में
कुछ पास रह न पाये,
हम गये कि कथा शेष हुई
आज नहीं तो कल सब भूले।
क्या व्यर्थ नहीं सब काम यहॉं
क्यों इतना सुख-दुःख झेलें,
क्यों इतनी चिन्ता रोज़ करें
जो होना होगा, होगा क्यों दुःखी बनें।
क्यों न प्रभु पर सब छोड़ दें
निर्भय होकर कर्तव्य कर्म करें,
हँसी - ख़ुशी का जीवन करें
चार दिनों की यह चॉंदनी है।
सब मेलजोल से रहा करें
एक दूसरे की सहायता करें,
अपने भी सुख चैन से रहें
औरों को भी सुख से जीने दें।
यही मंत्र है जीवन जीने का
मृत्यु के पार क्या है कैसे जानें,
फिर जन्म होता है यही हम जानें
यही जीवन को सफल बनायें।
कोई चिन्ता भय करना नहीं
बस एक ही काम तुम्हारा,
निर्भय निश्चिन्त निःशोक होकर
प्रभु के सर्वथा अनन्य शरण में होना।
