उम्मीद १
उम्मीद १
जब सूरज ढल जाता है
यह उम्मीद रहती है कि
एक अनोखी शाम आएगी
धीरेेधीरे मुस्कुराएगी
अपनी होठों की लाली बिखराएगी
सूना आसमान को फिरसे चमकाएगी,
फिर आएगी एक चांदनी रात
लेकर तारों की बारात,
फूलों की महक और खुशियों की सौगात,
इंतजार रहता है कि
इस रात में कुछ होगा
नया होगा, अच्छा होगा।
और हमेशा की तरह
रात गुज़र जाती है
चाँद सितारें खो जाते हैं
कुछ नया नहीं होता
कुछ अच्छा नहीं होता,
बस रह जाती है एक उम्मीद
एक नया सबेराा आएगा
एक नया सूरज जागेेगा
एक सुनहरा पल आएगा
और एक अच्छा संंदेश लाएगाा।
