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Rajeev Kumar

Abstract

4.5  

Rajeev Kumar

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उम्मीद

उम्मीद

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उम्मीद के दामन से लिपटी जिन्दगी

उम्मीद से ही जिन्दगी में लौटेगी खुशी


उम्मीद से ही मिल जाएगी मंज़िल

सब कुछ खोना, उम्मीद न खोना कभी


उम्मीद की रौशनी से जिन्दगी में उजाला

उम्मीद की रौशनी न डबडबाए कभी


किस्मत की अदाएगी उस तरफ

उम्मीद से जहाँ तक हो बेखुदी।


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