उलझन
उलझन
बोलूँ तो बात बिगड़ जाएगी
ना बोलूँ तो हालात बिगड़ जाएगी ।।
खोलूँ राज तो खुदगर्ज कहलाऊंगा
ना खोलूँ तो घुट- घुट मर जाऊंगा ।।
अल्फाज बना तो कानों तक पहुंच जाऊंगा
अल्फाज न बना तो आह बन जाऊंगा ।।
दुआ माँगूँ तो दुनिया लूट जाएगी
दुआ ना माँगू तो दिल से रुठ जाएगी ।।
रफू करूँ तो दिले चादर फट जाएगा
रफू न करूँ तो सिलसिला टूट जाएगा ।।
नजरिया बदलूँ फिर नजारा बदल जाएगा
नजरिया ना बदलूँ फिर सहारा बदल जाएगा।।
उलझन में रहूँ तो बढ़ती जाए यह उलझन
उलझन में ना रहूँ तो जार जार रोता है मन ।।