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Sakshi Mutha

Romance

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Sakshi Mutha

Romance

उलझे रिश्ते

उलझे रिश्ते

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224


गर उलझा था तो सुलझा सकते थे

तुम्हारे हाथ में भी तो रिश्तों का कोई तो सिरा होगा

बेमतलब रिश्ते यूँ खामोश नहीं होते

चुप्पी का कोई तो मतलब रहा होगा,

आसमां में आज चांद नहीं दिखा

बदरी या अमावस कोई तो कारण रहा होगा,

बेनूर सा हुआ अक्स हमारा

आईने को हमारी जुदाई का इल्म हुआ होगा,

वक़्त-बेवक़्त यूँ भर आते है अश्क

इन नैनो को तेरी गुमशुदगी का भरम हुआ होगा,

चाहते हमें! तो सुलझा सकते थे

तुम्हारे हाथ में भी तो रिश्तों का कोई तो सिरा होगा।


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