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Sakshi Mutha

Romance

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Sakshi Mutha

Romance

उलझे रिश्ते

उलझे रिश्ते

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गर उलझा था तो सुलझा सकते थे

तुम्हारे हाथ में भी तो रिश्तों का कोई तो सिरा होगा

बेमतलब रिश्ते यूँ खामोश नहीं होते

चुप्पी का कोई तो मतलब रहा होगा,

आसमां में आज चांद नहीं दिखा

बदरी या अमावस कोई तो कारण रहा होगा,

बेनूर सा हुआ अक्स हमारा

आईने को हमारी जुदाई का इल्म हुआ होगा,

वक़्त-बेवक़्त यूँ भर आते है अश्क

इन नैनो को तेरी गुमशुदगी का भरम हुआ होगा,

चाहते हमें! तो सुलझा सकते थे

तुम्हारे हाथ में भी तो रिश्तों का कोई तो सिरा होगा।


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