तूफान
तूफान
कुटिलता करोड़ों हिस्से बना देती है
इसकी परछाई तक जमीन बंजर बना देती है।
गर तूफानों की फितरत है बिगड़ना।
तो इंसानों की फितरत है संभलना।
बेदार तो बहुत हैं वह वबा से।
लेकिन तूफान है कि रुकते नहीं।
मकीन तो बहुत बनाए हैं मकान।
लेकिन आशियां है कि बनता नहीं।
कश्ती तूफानों से लड़ती रही
होश में जोश बटोरती रही।
कोशिशों में कसर न रह जाए कहीं।
इसलिए हवाओं के रुख को
आगोश में लेती रही।